खबर 4 RANCHI
अपने विचारों के प्रसार पर कठोर नज़र रखते हुए एक प्रयास ...
Saturday, 12 March 2011
हर एक बात पे कहते हो तुम के तू क्या है
तुम ही कहो के ये अंदाज़ -ऐ- गुफ्तुगू- क्या है
रगों मैं दौड़ते रहने के हम नहीं कायल
जो आँख से ना निकला तो वो लहू क्या है
मिर्ज़ा ग़ालिब
1 comment:
Anonymous
12 March 2011 at 10:30
wah galib
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