Saturday, 12 March 2011

हर एक बात पे कहते हो तुम के तू क्या   है

तुम ही कहो के ये अंदाज़ -ऐ- गुफ्तुगू- क्या है

रगों मैं दौड़ते रहने के हम नहीं कायल

जो आँख से ना निकला तो वो लहू क्या है 


                                        मिर्ज़ा ग़ालिब  

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