फुर फुर करती आये चिड़िया
बैठ मुँडेर पे गाये चिड़िया
रोज सवेरे मुझे जगाती
चीं चीं करके गाना गाती
आँखें मलती मैं उठ जाती
बैठ मुँडेर पे गाये चिड़िया
रोज सवेरे मुझे जगाती
चीं चीं करके गाना गाती
आँखें मलती मैं उठ जाती
भात कटोरी जब मैं लाती
फुदक फुदक कर नीचे आती
चहक चहक कर खेल दिखाती
सुबह मेरी मधुमय हो जाती
फुदक फुदक कर नीचे आती
चहक चहक कर खेल दिखाती
सुबह मेरी मधुमय हो जाती
गाना गाकर प्यार लुटाती
उठो सवेरा सीख सिखाती
खुले गगन की सैर वो करती
उठो सवेरा सीख सिखाती
खुले गगन की सैर वो करती
यही संदेशा देकर जाती
प्रकृति की दौलत तुम्हारे लिये है
सुरभित पवन ये तुम्हारे लिये है
खुली हवा में सैर को जाओ
नहीं नींद में समय बिताओ
सबल स्वास्थ्य के धनी बन जाओ
प्रकृति की दौलत तुम्हारे लिये है
सुरभित पवन ये तुम्हारे लिये है
खुली हवा में सैर को जाओ
नहीं नींद में समय बिताओ
सबल स्वास्थ्य के धनी बन जाओ
नया ब्लॉग अच्छा प्रयास है , आपको शुभकामनाय
ReplyDeleteनया ब्लॉग अच्छा है
ReplyDeleteनया ब्लॉग अच्छा है
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