Friday, 11 March 2011



फुर फुर करती आये चिड़िया
बैठ मुँडेर पे गाये चिड़िया


रोज सवेरे मुझे जगाती
चीं चीं करके गाना गाती
आँखें मलती मैं उठ जाती





भात कटोरी जब मैं लाती
फुदक फुदक कर नीचे आती
चहक चहक कर खेल दिखाती
सुबह मेरी मधुमय हो जाती





गाना गाकर प्यार लुटाती
उठो सवेरा सीख सिखाती
खुले गगन की सैर वो करती





यही संदेशा देकर जाती
प्रकृति की दौलत तुम्हारे लिये है
सुरभित पवन ये तुम्हारे लिये है


खुली हवा में सैर को जाओ
नहीं नींद में समय बिताओ
सबल स्वास्थ्य के धनी बन जाओ

3 comments:

  1. नया ब्लॉग अच्छा प्रयास है , आपको शुभकामनाय

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  2. नया ब्लॉग अच्छा है

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  3. नया ब्लॉग अच्छा है

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